Diabetes : क्या मधुमेह हृदय रोग का कारण बनता है...
- Sonebhadra Times
- Jan 13
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मधुमेह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है और आज कई लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं। हालाँकि इसे स्वस्थ जीवनशैली और नियमित चिकित्सा देखभाल के ज़रिए नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन क्या मधुमेह और हृदय रोग के बढ़ते जोखिम के बीच कोई संबंध है?

Diabetes : भारत में हाल के वर्षों में डायबिटीज के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। कम उम्र के लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इसके प्रमुख कारण गलत खानपान, बिगड़ती जीवनशैली, दिनचर्या और बढ़ते कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं हैं, जो लोगों को प्रभावित कर रही हैं। इसके परिणामस्वरूप डायबिटीज की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या डायबिटीज से हृदय रोग हो सकता है। क्या मधुमेह का प्रभाव हृदय रोग का खतरा बढ़ा देता है। आइए, इस बारे में विशेषज्ञों की राय जानते हैं।
डॉ. अजय कुमार का कहना है कि डायबिटीज न केवल रक्त में शुगर के स्तर को प्रभावित करती है, बल्कि यह शरीर की रक्त वाहिकाओं और हृदय को भी कमजोर कर सकती है। यह स्थिति कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (CVD) का प्रमुख कारण बनती है। डायबिटीज के रोगियों में दिल के दौरे, स्ट्रोक, और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। सामान्य व्यक्तियों की तुलना में डायबिटीज के मरीजों में हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा 2-4 गुना अधिक होता है।
डायबिटीज और दिल की बीमारी के बीच क्या संबंध है
हाई ब्लड शुगर के कारण खून में शुगर का स्तर लगातार बढ़ जाता है, जिससे रक्त वाहिकाओं की दीवारों को नुकसान होता है. इससे धमनियां सिकुड़ने लगती हैं, जिससे हृदय में ब्लड फ्लो कम हो जाता है.
हाई ब्लड प्रेशर डायबिटीज का ब्लड प्रेशर से गहरा संबंध है. ब्लड प्रेशर होने पर दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे डायबिटीज से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
खराब कोलेस्ट्रॉल डायबिटीज के मरीजों में एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) का स्तर तेजी से बढ़ता है और एचडीएल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) कम होता है. इससे हृदय से संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं. खराब कोलेस्ट्रॉल के कारण रक्त प्रवाह प्रभावित होता है.
मोटापा और इंसुलिन डायबिटीज के रोगियों में मोटापा आम है, जो दिल के रोगों का खतरा बढ़ा सकता है. मोटापा इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ाकर मेटाबॉलिक सिंड्रोम का कारण बन सकता है.
डायबिटीज के कारण सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ सकता है, जिससे हृदय की मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है।
डायबिटीज से हृदय रोग कैसे उत्पन्न होता है
कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) में धमनियों में वसा जमा होने से रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है, जिससे हृदय आघात का खतरा बढ़ जाता है।
कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर में हृदय रक्त को पंप करने में असमर्थ हो जाता है।
पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) के कारण शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त प्रवाह बाधित होता है, विशेष रूप से पैरों में रक्त संचार कम हो जाता है। इस स्थिति में हृदय आघात का जोखिम बना रहता है।
डायबिटीज से दिल की बीमारी रोकने के उपाय
ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें। डॉक्टर द्वारा बताए गए तरीके से ब्लड शुगर की नियमित जांच करें।
स्वस्थ आहार अपनाएं, जिसमें फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और वसा रहित प्रोटीन को शामिल करें। ट्रांस फैट, सैचुरेटेड फैट और शुगर युक्त खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
नियमित रूप से व्यायाम करें, सप्ताह में कम से कम 150 मिनट एरोबिक व्यायाम करना चाहिए। योग और ध्यान तनाव को कम करने में सहायक होंगे।
धूम्रपान और शराब से परहेज करें। हालांकि धूम्रपान और शराब का सेवन किसी के लिए भी हानिकारक है, लेकिन डायबिटीज के मरीजों को विशेष रूप से धूम्रपान से बचना चाहिए, क्योंकि इससे अटैक का खतरा बढ़ सकता है।
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