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HMPV (Human Metapneumovirus) एक श्वसन तंत्र से जुड़ा वायरस है, जो विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को प्रभावित कर सकता है। यह वायरस मुख्य रूप से श्वसन पथ में संक्रमण का कारण बनता है और यह आमतौर पर सर्दी और फ्लू जैसे लक्षणों के साथ प्रकट होता है। छोटे बच्चों में इसकी चपेट में आने का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि उनकी इम्यूनिटी (प्रतिरक्षा प्रणाली) कमजोर होती है। बच्चों की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और उनके आसपास के वातावरण के कारण यह वायरस तेजी से फैल सकता है।


बच्चों में HMPV संक्रमण
बच्चों में HMPV संक्रमण

बच्चों में HMPV संक्रमण:

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: बच्चों की इम्यूनिटी पूरी तरह से विकसित नहीं होती, जिससे वे वायरस का सामना करने में कमजोर पड़ जाते हैं। नवजात और छोटे बच्चों में एंटीबॉडी का स्तर भी कम होता है, जो उन्हें विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचाने में मदद करता है। इस कारण, जब HMPV का हमला होता है, तो उनके शरीर की प्रतिक्रिया कमजोर होती है, जिससे संक्रमण की गंभीरता बढ़ जाती है।


आसानी से फैलाव: HMPV संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या छूने से तेजी से फैलता है। छोटे बच्चे, जो अक्सर एक-दूसरे के साथ खेलते हैं और निकटता से संपर्क में रहते हैं, जल्दी संक्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा, बच्चों की आदतें जैसे कि अपने हाथों को मुंह या आंखों पर लगाना, उन्हें वायरस के संपर्क में लाने का एक प्रमुख कारण बनता है।


बंद स्थानों में अधिक समय बिताना: बच्चे आमतौर पर स्कूल, डे-केयर या घर के अंदर रहते हैं, जहां संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है। इन स्थानों पर, बच्चों के बीच निकटता और साझा वस्तुओं का उपयोग वायरस के प्रसार में योगदान देता है। जब एक बच्चा संक्रमित होता है, तो उसके आस-पास के अन्य बच्चे भी जल्दी इसकी चपेट में आ सकते हैं।


स्वच्छता की कमी: बच्चे अपने हाथ मुंह या आंखों पर बार-बार लगाते हैं, जिससे वायरस के संपर्क में आने की संभावना बढ़ जाती है। अक्सर, वे हाथ धोने की आदत नहीं बनाते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है। इसके अलावा, बच्चों को स्वच्छता के महत्व का ज्ञान नहीं होता, जिससे वे संक्रमित होने के लिए और भी अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।


HMPV के लक्षण:

हल्के लक्षण: सर्दी, खांसी, नाक बहना, बुखार। ये लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं, लेकिन फिर भी बच्चों के लिए असुविधाजनक हो सकते हैं।

गंभीर लक्षण: तेज सांस चलना, घरघराहट, निमोनिया। गंभीर मामलों में, बच्चों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता हो सकती है।


अत्यधिक गंभीर मामलों में: अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। यदि बच्चे के लक्षण गंभीर हो जाते हैं, तो उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है, जिसमें ऑक्सीजन थेरेपी या अन्य उपचार शामिल हो सकते हैं।


बचाव के उपाय:

हाइजीन का ध्यान रखें:

बच्चों को बार-बार हाथ धोने की आदत डालें। हाथ धोने के लिए साबुन और पानी का उपयोग करें, खासकर खाने से पहले और बाथरूम का उपयोग करने के बाद।

खांसने और छींकने पर टिशू या कोहनी का इस्तेमाल सिखाएं। यह न केवल उन्हें, बल्कि दूसरों को भी संक्रमण से बचाने में मदद करता है।


संक्रमित लोगों से दूरी:

बच्चों को किसी संक्रमित व्यक्ति के पास जाने से बचाएं। यदि किसी बच्चे को सर्दी या फ्लू के लक्षण हैं, तो उसे स्कूल या डे-केयर भेजने से बचें।

भीड़-भाड़ वाले स्थानों में जाने से बचें। जब भी संभव हो, बच्चों को घर पर रहने के लिए प्रोत्साहित करें, खासकर जब संक्रमण का खतरा अधिक हो।


संतुलित आहार:

बच्चों को पौष्टिक आहार दें जिससे उनकी इम्यूनिटी मजबूत हो। संतुलित आहार में फलों, सब्जियों, अनाज और प्रोटीन का समावेश होना चाहिए।

विटामिन C युक्त फलों (जैसे संतरा, नींबू) का सेवन बढ़ाएं। ये विटामिन बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।


मास्क का उपयोग:

अगर घर में कोई व्यक्ति संक्रमित है, तो मास्क का उपयोग करें। यह न केवल संक्रमित व्यक्ति को, बल्कि अन्य परिवार के सदस्यों को भी सुरक्षा प्रदान करता है।


खेलकूद और आराम:

बच्चों को पर्याप्त नींद और शारीरिक गतिविधि के लिए प्रेरित करें। नियमित खेलकूद से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और वे स्वस्थ रहते हैं।


टीकाकरण और डॉक्टर से परामर्श:

नियमित टीकाकरण करवाएं। यह बच्चों को विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचाने में मदद करता है।

अगर लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर उपचार से स्थिति को गंभीर होने से रोका जा सकता है।


कब डॉक्टर के पास जाएं

तेज बुखार, सांस लेने में कठिनाई, या खांसी के साथ बलगम में खून आना। ये लक्षण गंभीर हो सकते हैं और तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

बच्चा सुस्त हो और खाना-पीना बंद कर दे। यदि बच्चा सामान्य गतिविधियों में रुचि नहीं दिखाता या खाने-पीने में कठिनाई महसूस करता है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि उसे चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।

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